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भारत के स्वच्छता अभियान में पॉजीटिव नजरिया का अहम रोल

लेखक : दुर्गा प्रसाद
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भारत के स्वच्छता अभियान से गदगद हैं। यह बात उन्होंने नए साल के अपने पहले रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ कार्यक्रम में कही। मोदी जी ने कहा, ‘लोगों ने एक कदम आगे बढ़कर अब सौंदर्य को भी स्वच्छता से जोड़ना शुरू कर दिया हैं। इसके उदाहरण रेलवे स्टेशनों पर देखने को मिल रहे हैं।’
जी हां! यह सच है भारत में स्वच्छता अभियान को बड़े गंभीरता से लिया जा रहा है। आज स्कूलों में स्वच्छता का पाठ पढ़ाया जा रहा है, होर्डिंग्स में स्वच्छ भारत के स्लोगन लिखकर लोगों को प्रेरित किया जा रहा है।
यह एक पॉजीटिव शुरुआत है। एक सशक्त भारत के लिए स्वच्छ भारत होना बहुत जरूरी है। यह तभी शुरू होगा जब हम अपने घर, गली, मोहल्ला, शहर से स्वच्छता की शुरुआत करें। यह एक दिन के लिए नहीं बल्कि एक रूटीन के तौर पर दिनचर्या में लाना होगा।
यह हम सबकी जिम्मेदारी है कैसे हम भारत के इस महान कार्य को आगे बढ़ाते हैं। भारत से विश्व को काफी उम्मीदें है। हम सब की जिम्मेदारी है हम भारत की छवि को विश्व में और अधिक सशक्त बनाएं। आज रेलवे स्टेशन पहले से ज्यादा स्वच्छ हैं। सबसे बड़ी बात यह है कि अब भारतवासी गंदगी की चर्चा छोड़ स्वच्छता की चर्चा करने लगा है। यही उसे एक पॉजीटिव शुरुआत हो चुकी है। कोई भी काम तभी सफल होता है जब हम पॉजीटिव शुरुआत करते हैं। हर चीज को शुरुआत करने में मुश्किलें आ सकती है, मगर इसके आगे सकारात्मक परिणाम आएंगे।

मोदी जी के 'मन की बात'  में जो दूसरा सकारात्मक पहलू था, वह था बेटियों की तादाद बढ़ना।  आज लोगों में बेटियों को लेकर पॉजीटिव एटीट्यूट बढ़ा है। जिन राज्यों में पहले बेटी होना अभिशाप की तरह देखा जा रहा था, आज वहां पर बेटियों की तादात में इजाफा देखने को मिल रहा है। अब लड़के और लड़कियों में समानता देखने को मिल रही है। समाज का नजरिया बदला है। यह सब हमारे सोचने का नजरिया और शिक्षा के कारण ही हुआ है। यह हम सबके लिए गर्व की बात है। और इस सोच को आगे भी ऐसे ही जारी रखना है।
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