लेखक : दुर्गा प्रसाद
लो कर लो बात...इन वकील महाशय की फरियाद तो सुनो.. इन्होंने माननीय कोर्ट में एक याचिका दायर कर गुहार लगाई कि भगवान राम के खिलाफ केस दर्ज किया जाए। उन्होंने कोर्ट में दलीलें दीं कि सीता माता का कोई कसूर नहीं था, तो उन्हें जंगल में भेजा क्यों?
यह घटना बिहार के सीतामढ़ी की है। जहां पर एक वकील महाश्य ने भगवान राम के खिलाफ केस दायर किया। कोर्ट के सामने वकील ने तर्क दिया कि माता सीता का कोई कसूर नहीं था। इसके बाद भी भगवान राम ने उन्हें जंगल में क्यों भेजा? वकील ने कहा, ‘’कोई पुरुष अपनी पत्नी को कैसे इतनी बड़ी सजा दे सकता है? भगवान राम ने यह सोचा भी नहीं कि घनघोर जंगल में अकेली महिला कैसे रहेगी?’’ मुझे सीता माता के प्रति न्याय चाहिए। जब भगवान राम माता सीता के साथ न्याय नहीं कर सके तो इस कलयुग में आम महिलाओं को कैसे न्याय मिलेगा। अगर माता सीता को न्याय मिलता है तो ब्रह्मांड की सारी महिलाओं को न्याय मिलेगा। वकील का तर्क था कि माता जानकी सीतामढ़ी की धरती से अवतरित हुई थीं। वह सीतामढ़ी की बेटी हैं। भगवान राम ने उनके साथ इंसाफ नहीं किया।
जज ने उनसे पूछा, इतनी पुरानी घटना के लिए किसे पकड़ेंगे। जज साहब ने केस की फाइल देखी और वकील से पूछा कि त्रेता युग की घटना को लेकर केस क्यों किया है? त्रेता युग की घटना के मामले में किसे पकड़ा जाएगा, कौन गवाही देगा?
आपने केस में यह भी नहीं बताया है कि श्रीराम ने सीता जी को किस दिन घर से निकाला था? केस में दर्ज विवरण का आधार क्या है?
जज के सवाल पर वकील चंदन ने कहा, “मैंने माता सीता को न्याय दिलाने के लिए अदालत का दरवाजा खटखटाया है। मैं अदालत से सीता जी के लिए न्याय की भीख मांगता हूं।”
“आप और हम, सब लोग भगवान राम, माता सीता और रामायण को मानते हैं।” “मैंने अपने केस में रामायण से घटनाओं का विवरण लिया है।” कोर्ट ने इस केस को निराधार बताते हुए खारिज कर दिया है।
अब ध्यान देने योग्य बात है कि इस तरह के मुकदमे क्या सही हैं। क्या यह सच्ची लोकप्रियता हासिल करने का फंडा तो नहीं। इस तरह के आडंबरों से बचना ही सही है। इस तरह उपहास करना ठीक नहीं है।
लो कर लो बात...इन वकील महाशय की फरियाद तो सुनो.. इन्होंने माननीय कोर्ट में एक याचिका दायर कर गुहार लगाई कि भगवान राम के खिलाफ केस दर्ज किया जाए। उन्होंने कोर्ट में दलीलें दीं कि सीता माता का कोई कसूर नहीं था, तो उन्हें जंगल में भेजा क्यों?
यह घटना बिहार के सीतामढ़ी की है। जहां पर एक वकील महाश्य ने भगवान राम के खिलाफ केस दायर किया। कोर्ट के सामने वकील ने तर्क दिया कि माता सीता का कोई कसूर नहीं था। इसके बाद भी भगवान राम ने उन्हें जंगल में क्यों भेजा? वकील ने कहा, ‘’कोई पुरुष अपनी पत्नी को कैसे इतनी बड़ी सजा दे सकता है? भगवान राम ने यह सोचा भी नहीं कि घनघोर जंगल में अकेली महिला कैसे रहेगी?’’ मुझे सीता माता के प्रति न्याय चाहिए। जब भगवान राम माता सीता के साथ न्याय नहीं कर सके तो इस कलयुग में आम महिलाओं को कैसे न्याय मिलेगा। अगर माता सीता को न्याय मिलता है तो ब्रह्मांड की सारी महिलाओं को न्याय मिलेगा। वकील का तर्क था कि माता जानकी सीतामढ़ी की धरती से अवतरित हुई थीं। वह सीतामढ़ी की बेटी हैं। भगवान राम ने उनके साथ इंसाफ नहीं किया।
जज ने उनसे पूछा, इतनी पुरानी घटना के लिए किसे पकड़ेंगे। जज साहब ने केस की फाइल देखी और वकील से पूछा कि त्रेता युग की घटना को लेकर केस क्यों किया है? त्रेता युग की घटना के मामले में किसे पकड़ा जाएगा, कौन गवाही देगा?
आपने केस में यह भी नहीं बताया है कि श्रीराम ने सीता जी को किस दिन घर से निकाला था? केस में दर्ज विवरण का आधार क्या है?
जज के सवाल पर वकील चंदन ने कहा, “मैंने माता सीता को न्याय दिलाने के लिए अदालत का दरवाजा खटखटाया है। मैं अदालत से सीता जी के लिए न्याय की भीख मांगता हूं।”
“आप और हम, सब लोग भगवान राम, माता सीता और रामायण को मानते हैं।” “मैंने अपने केस में रामायण से घटनाओं का विवरण लिया है।” कोर्ट ने इस केस को निराधार बताते हुए खारिज कर दिया है।
अब ध्यान देने योग्य बात है कि इस तरह के मुकदमे क्या सही हैं। क्या यह सच्ची लोकप्रियता हासिल करने का फंडा तो नहीं। इस तरह के आडंबरों से बचना ही सही है। इस तरह उपहास करना ठीक नहीं है।
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