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सुनो वीरबहूटी ! इन बारिशों में....


सुनो वीरबहूटी !
इन बारिशों में
मन की सीली सुनहली रेत पर
सिंदूरी-मखमली अहसास-सी
मेरा बचपन लिए
लौट आओ ना !
कि
जेठ की जलती घाम में
काली-पीली आँधियों में
पत्थर-सी तपी हूँ
जली हूँ

अब के बरस
मेरे हिस्से का सावन
काठ की गाड़ी
गुड्डा-गुड्डी
गोटे की चूनर
चाँद का चँदोवा
रेत का घरौंदा
तलैया की छपाक
धनक की चाप
सावन का गीत
वो मीठी-सी तान -
मोटी-मोटी छाँटां
ओस्रयो ए बादलड़ी
सावण रुत आई म्हारा राज
सुरंग रुत आई म्हारा राज
बस इतना ही
ज्यादा नहीं
ले आओ वीरबहूटी !
लाओगी ना ?
  -साभार, हिंदी पीयू


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