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मोदी सरकार को दो महीने के अंतराल में दोहरा झटका, अरुणाचल में कांग्रेस सरकार बहाल

लेखक : दुर्गा प्रसाद
मोदी सरकार को सुप्रीम कोर्ट ने दो महीने के अंतराल में दोहरा झटका दिया है। माननीय कोर्ट ने अरुणाचल प्रदेश में फिर से सात महीने पुरानी कांग्रेस सरकार को बहाल करने का आदेश दिया है। इससे पहले उत्तराखंड में ऐसी ही स्थिति से मोदी सरकार को गुजरना पड़ा है जब मई में सुप्रीम कोर्ट ने कांग्रेस सरकार को बहाल करने का आदेश दिया था। इससे एक बात साफ हो गई है कहीं न कहीं केंद्र सरकार अपने बचर्स्व का गलत उपयोग कर रही है। तभी तो सुप्रीम कोर्ट को दखल देने के बाद दूध का दूध पानी का पानी करना पड़ रहा है। अरुणाचल के सीएम रहे नबाम तुकी ने इस फैसले पर कहा है कि सुप्रीम कोर्ट ने देश को बचा लिया। वहीं, बीजेपी के सपोर्ट से सीएम बने कलिखो पुल ने कहा कि सरकारें आंकड़ों से चलती हैं, कोर्ट के आदेशों से नहीं।
यह अभी तक के इतिहास का पहला मौका है जब किसी राज्य में मौजूदा सरकार को हटाकर पुरानी सरकार बहाल करने का सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया है।


 जस्टिस जेएस केहर की अध्यक्षता वाली पांच जजों की संविधान बेंच ने अपने ऐतिहासिक फैसले में आदेश दिया कि विधानसभा में 15 दिसंबर 2015 से पहले की स्थिति बहाल रहेगी। 9 दिसंबर 2015 को दिए गए गवर्नर के आदेश पर लिए गए विधानसभा के सभी फैसले रद्द किए जाते हैं। जस्टिस केहर ने कहा, “9 दिसंबर 2015 को गवर्नर ने विधानसभा का सत्र 14 जनवरी 2016 से पहले 16 दिसंबर 2015 को ही खत्म करने आदेश दिया था। यह आर्टिकल 163 का (संविधान का आर्टिकल 174 पढ़ा जाए) वॉयलेशन है। लिहाजा, यह फैसला अमान्य है।” “दूसरा यह कि 16 से 18 दिसंबर 2015 तक चले अरुणाचल प्रदेश विधानसभा के 6th सेशन में कार्यवाही के लिए गवर्नर का आदेश देना आर्टिकल 163 का (संविधान का आर्टिकल 175 पढ़ा जाए) वॉयलेशन है। लिहाजा, इस फैसले को भी अमान्य किया जाता है।”  “तीसरा यह कि गवर्नर के 9 दिसंबर 2015 के आदेश पर अरुणाचल प्रदेश विधानसभा द्वारा लिए गए सभी फैसले और उठाए गए कदम खारिज किए जाते हैं।”  आखिर में बेंच ने कहा, “तीनों फैसलों को देखते हुए प्रदेश में 15 दिसंबर 2015 से पहले की स्थिति बहाल करने का आदेश दिया जाता है।”
इस तरह की दलगत राजनीत से ऊपर उठकर सरकार को पारदर्शिता का परिचय देना चाहिए। भारत एक लोकतांत्रिक देश है ऐसे में लोगों की भावना का सम्मान करना चाहिए। ऐसे फैसले से सिर्फ सरकार की किरकिरी होती है और कुछ नहीं।  यह आगे के लिए यही सभी पार्टियों के लिए एक सबक है कि सही और गलत की पहचान कर ही ठोस कदम उठाए जाएं।
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