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सूखे का परमानेंट सौल्यूशन निकाले महाराष्ट्र सरकार

लेखक : दुर्गा प्रसाद
बॉम्बे हाईकोर्ट ने फैसला दिया है कि सूखे से बेहाल महाराष्ट्र में 30 अप्रैल के बाद आईपीएल के मैच नहीं होंगे। कोर्ट का फैसला सर्वमान्य है, पर एक बात जो सामने आती है वह है क्या यह एक परमानेंट सौल्यूशन है। फिलहाल इस फैसले के बाद बीसीसीआई को करोड़ों रुपए का घाटा होना लाजिमी है।  अभी गर्मी शुरू ही हुई है और महाराष्ट्र का यह हाल है आगे की भीषण गर्मी से बचने के लिए महाराष्ट्र सरकार अब आगे क्या कदम उठाती है, यह एक महत्वपूर्ण विषय है। महाराष्ट्र में फसलों के नुकसान के चलते हर महीने कई किसानों की खुदकुशी के मामले सामने आ चुके हैं। मगर सरकार कोई ठोस रणनीति नहीं बना पाई है।



ऐसे में अगर यही हाल रहा तो आगे और विकट स्थिति आ सकती है। इस समय सरकार का लक्ष्य एक ही होना चाहिए कि इस समस्या का हल प्रमुखता से निकाले। जनहित का यह मुद्दा कई और परिवारों को अपने आगोश में ले सकता है। पानी सिर्फ मनुष्य के लिए ही जरूरी नहीं है अपितु जंगली जानवर, पशु-पक्षी कैसे इस भीषण गर्मी में अपनी प्यास बुझाएंगे यह एक विकट समस्या है। एक तरफ तो महाराष्ट्र ने देश के विकसित राज्यों में अपनी पहचान बना रखी है, वहीं मुंबई को देश की आर्थिक राजधाानी कहा जाता है। ऐसे में प्रदेश सरकार की जिम्मेवारी बनती है कि वह इस स्टेटस को बनाए रखे।
यहां यह जिक्रयोग्य है कि मंगलवार को हाईकोर्ट ने कहा था- हम महाराष्ट्र सरकार के उस दावे की जांच चाहते हैं जिसमें कहा गया है कि क्रिकेट की पिचों के लिए वह पानी यूज नहीं किया जा रहा है जिसका सूखे से तबाह राज्य की मदद के लिए इस्तेमाल किया जाएगा। कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार से वानखेड़े स्टेडियम में आईपीएल के पहले मैच के दौरान यूज हुए पानी की फॉरेंसिक जांच करवाने और उसकी रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया था। वहीं, महाराष्ट्र के सीएम देवेंद्र फड़णवीस ने कहा था कि हम पीने के पानी का किसी भी रूप में इस्तेमाल नहीं होने देंगे, अगर मैच शिफ्ट भी हो जाते हैं तो हमें कोई दिक्कत नहीं होगी। यह जनहित में ठीक है, मगर क्या अाइपीएल मैचों के शिफ्ट हो जाने से महाराष्ट्र में सूखे की स्थिति से निपट लिया जाएगा।
अभी महाराष्ट्र और देश में भाजपा की सरकार है और देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के नारे “अच्छे दिन आने वाले हैं” की परीक्षा की घड़ी है। अगर वास्तव में महाराष्ट्र की समस्या का हल निकल आता है तो समझो अच्छे दिन आ ही गए हैं।   फिलहाल महराष्ट्र में अच्छे दिन आ गए तो वहां के किसानों को राहत मिल सकती है। हर तरफ एक ही खबर चल रही है कि महाराष्ट्र में सूखा। खबर तो ठीक है पर इसका हल निकालना ज्यादा महत्वपूर्ण है।
महाराष्ट्र में प्राकृतिक स्रोत सूख चुके हैं। नलों में पानी आना बंद हो चुका है। बीते दिनों ही ट्रेन से पांच लाख लीटर महाराष्ट्र के सूखा प्रभावित इलाकों को भेजा गया था। यह तो मात्र ऊंट के मूंह में जीरा वाली बात है। युद्ध स्तर पर इस समस्या का त्वरित हल निकले वरना महराष्ट्र को काफी कुछ और सहना पड़ सकता है।
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