लेखक : दुर्गा प्रसाद
अफसोस! सियाचिन में एवलांच के छह दिन बाद मौत के मुंह से बाहर आए जाबांज लांस नायक हनुमनथप्पा अब हमारे बीच नहीं रहे। आर्मी रेफरल हाॅस्पिटल दिल्ली में वीरवार दोपहर उन्हें हार्ट अटैक आया और सदा भारत मां का यह वीर हमेशा छीन गया। सारा देश उनके निधन से स्तब्ध और दुखी है। भारत माता के ऐसे वीर सपूत को भावभीनी श्रद्धांजलि। आज प्रत्येक भारतीय पर अपने अमर जवान पर गर्व है। पर मन में एक टीस भी है काश! कोई चमत्कार होता और वो बच गए होते। उनकी सेहत के लिए देश में हवन-यज्ञ और दुआएं मांगी जा रही थी, मगर बचाए नहीं जा सके।
देश के बहादुर जवान पर आज सारे देश को नाज है। इस दुख की घड़ी से उबरने के लिए भगवान, खुदा, प्रभु उनके परिवार को शक्ति दे।
वीर लांस नायक हनुमनथप्पा के बारे में खुलासा हुआ है कि वह घर से छह किलोमीटर पैदल चलकर स्कूल जाते थे और अपने परिवार और गांव के लोगों से कहते थे कि हमें ऐसा काम करना चाहिए जिससे कि हम भारत मां की सेवा कर सकें। हमेशा देशसेवा के लिए युवाओं को प्रेरित करते थे। आज उनके गांव के लोगों को उनकी वीरता पर गर्व है पर आंखों में आंसू भी है कि उनका एक वीर उन्हें छोड़कर चला गया।
हनुमनथप्पा को उनके करीबी फाइटर बताते हैं। एक ऐसा शख्स जिसकी आवाज कड़क लेकिन अंदाज मीठा था। उनके बारे में कहा जाता है कि वो जानबूझकर कठिन पोस्टिंग मांगते थे। जम्मू-कश्मीर में 2008 से 2010 के बीच रहे। इसके बाद वो दो साल तक वो नॉर्थ-ईस्ट में पोस्टेड रहे। 13 साल के आर्मी कॅरियर में वे 10 साल मुश्किल हालात में रहे। कठिन जगहों पर पोस्टिंग मांगी। 10 मद्रास रेजीमेंट से उनकी पोस्टिंग अगस्त में सियाचिन में हुई थी।
जाबांज हनुमनथप्पा की पत्नी का नाम महादेवी और दो साल की बेटी का नाम नेत्रा है। हनुमनथप्पा का नाम भगवान हनुमान के नाम पर रखा गया था। खास बात यह है कि हनुमनथप्पा आर्मी में ही जाना चाहते थे। लेकिन सिलेक्ट होने के पहले तीन बार वह रिजेक्ट कर दिए गए थे।
िजक्र योग्य है कि जाबांज हनुमनथप्पा सियाचीन में एवलांच आने के बाद 125 घंटे 35 फीट बर्फ के नीचे दबे रहे थे। कई घंटों तक 35 फीट बर्फ हटाने के बाद हनुमनथप्पा तक रेस्क्यू टीम पहुंची थी। वे बेहोशी की हालत में मिले। उनकी पल्स नहीं मिल रही थी।उनके शरीर का पानी सूख चुका था। डिहाइड्रेशन के अलावा ठंड से हाइपोथर्मिया हो गया था। जम्मू-कश्मीर से दिल्ली लाए जाने के बाद उन्हें आर्मी रेफरल हाॅस्पिटल में भर्ती कराया गया।
हनुमनथप्पा के निधन के बारे में खुलासा करते हुए डाॅक्टर ने बताया कि उनके दिमाग में ऑक्सीजन की कमी हो गई थी। उनके दोनों फेफडों में निमोनिया हो गया है। इसके अलावा उनके शरीर के कई अंग काम नहीं कर रहे थे। इस वीर जवान ने भारत माता की सेवा में अपना जीवन अर्पण कर दिया।
अफसोस! सियाचिन में एवलांच के छह दिन बाद मौत के मुंह से बाहर आए जाबांज लांस नायक हनुमनथप्पा अब हमारे बीच नहीं रहे। आर्मी रेफरल हाॅस्पिटल दिल्ली में वीरवार दोपहर उन्हें हार्ट अटैक आया और सदा भारत मां का यह वीर हमेशा छीन गया। सारा देश उनके निधन से स्तब्ध और दुखी है। भारत माता के ऐसे वीर सपूत को भावभीनी श्रद्धांजलि। आज प्रत्येक भारतीय पर अपने अमर जवान पर गर्व है। पर मन में एक टीस भी है काश! कोई चमत्कार होता और वो बच गए होते। उनकी सेहत के लिए देश में हवन-यज्ञ और दुआएं मांगी जा रही थी, मगर बचाए नहीं जा सके।
देश के बहादुर जवान पर आज सारे देश को नाज है। इस दुख की घड़ी से उबरने के लिए भगवान, खुदा, प्रभु उनके परिवार को शक्ति दे।
वीर लांस नायक हनुमनथप्पा के बारे में खुलासा हुआ है कि वह घर से छह किलोमीटर पैदल चलकर स्कूल जाते थे और अपने परिवार और गांव के लोगों से कहते थे कि हमें ऐसा काम करना चाहिए जिससे कि हम भारत मां की सेवा कर सकें। हमेशा देशसेवा के लिए युवाओं को प्रेरित करते थे। आज उनके गांव के लोगों को उनकी वीरता पर गर्व है पर आंखों में आंसू भी है कि उनका एक वीर उन्हें छोड़कर चला गया।
हनुमनथप्पा को उनके करीबी फाइटर बताते हैं। एक ऐसा शख्स जिसकी आवाज कड़क लेकिन अंदाज मीठा था। उनके बारे में कहा जाता है कि वो जानबूझकर कठिन पोस्टिंग मांगते थे। जम्मू-कश्मीर में 2008 से 2010 के बीच रहे। इसके बाद वो दो साल तक वो नॉर्थ-ईस्ट में पोस्टेड रहे। 13 साल के आर्मी कॅरियर में वे 10 साल मुश्किल हालात में रहे। कठिन जगहों पर पोस्टिंग मांगी। 10 मद्रास रेजीमेंट से उनकी पोस्टिंग अगस्त में सियाचिन में हुई थी।
जाबांज हनुमनथप्पा की पत्नी का नाम महादेवी और दो साल की बेटी का नाम नेत्रा है। हनुमनथप्पा का नाम भगवान हनुमान के नाम पर रखा गया था। खास बात यह है कि हनुमनथप्पा आर्मी में ही जाना चाहते थे। लेकिन सिलेक्ट होने के पहले तीन बार वह रिजेक्ट कर दिए गए थे।
िजक्र योग्य है कि जाबांज हनुमनथप्पा सियाचीन में एवलांच आने के बाद 125 घंटे 35 फीट बर्फ के नीचे दबे रहे थे। कई घंटों तक 35 फीट बर्फ हटाने के बाद हनुमनथप्पा तक रेस्क्यू टीम पहुंची थी। वे बेहोशी की हालत में मिले। उनकी पल्स नहीं मिल रही थी।उनके शरीर का पानी सूख चुका था। डिहाइड्रेशन के अलावा ठंड से हाइपोथर्मिया हो गया था। जम्मू-कश्मीर से दिल्ली लाए जाने के बाद उन्हें आर्मी रेफरल हाॅस्पिटल में भर्ती कराया गया।
हनुमनथप्पा के निधन के बारे में खुलासा करते हुए डाॅक्टर ने बताया कि उनके दिमाग में ऑक्सीजन की कमी हो गई थी। उनके दोनों फेफडों में निमोनिया हो गया है। इसके अलावा उनके शरीर के कई अंग काम नहीं कर रहे थे। इस वीर जवान ने भारत माता की सेवा में अपना जीवन अर्पण कर दिया।
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