लेखक : दुर्गा प्रसाद
वनडे क्रिकेट में गेंदबाजों की धुनाई बढ़ती ही जा रही है। गेंदबाज के लिए आखिर अब बल्लेबाजों को रोकना क्यों महंगा पड़ रहा है। हाल ही में हुए भारत-ऑस्ट्रेलिया की जिक्र करें तो यह बात सामने आई कि हार जीत से परे दोनों टीमों में एक बात समान थी कि हर मैच में बड़े स्कोर बन रहे थे। पांचों मैचों में दोनों तरफ़ से लगभग तीन-तीन सौ या इससे अधिक रन बने।
आखिरी पांचवें वनडे की बात करें तो ऑस्ट्रेलिया ने 7 विकेट पर 330 रन बनाए लेकिन भारत केवल चार विकेट पर 331 रन बनाकर जीतने में कामयाब रहा। पूरी सिरीज़ में दोनो टीमों के गेंदबाज़ एक-एक विकेट के लिए तरसते रहे। केवल एक बार भारतीय टीम ऑल आउट हुई।
इसके अलावा इन दिनों दक्षिण अफ्रीका का दौरा कर रही इंग्लैंड ने भी पहले एकदिवसीय मैच में ब्लोमफोंटेन में 9 विकेट खोकर 399 रन बनाए।
अगर हम पिछले सीजने पर थोड़ा गौर करें तो पिछले साल भारत का दौरा करने वाली दक्षिण अफ्रीकी टीम ने भारत के ख़िलाफ मुंबई में खेले गए पांचवें और आख़िरी एकदिवसीय मैच में 4 विकेट खोकर 438 रन ठोके। हालात यहां तक पहुंचे कि भारतीय टीम के तकनीकी निदेशक रवि शास्त्री पिच को लेकर क्यूरेटर सुधीर नायक से भिड़ गए। तब यह विवाद मीडिया में खूब छाया रहा।
अब सवाल यह है कि क्या इन दिनों दुनियाभर की टीमों के गेंदबाज़ों में विकेट लेने का दम नहीं रहा या फिर बल्लेबाज़ी का स्तर बढ़ गया है।
ऑस्ट्रेलियाई दौरे पर तो यह हाल हुआ कि भारत के अनुभवी तेज़ गेंदबाज़ इशांत शर्मा और उमेश यादव को समझ ही नही आया कि गेंद कहां करे। यही हाल ऑस्ट्रेलियाई गेंदबाज़ों का विराट कोहली, रोहित शर्मा और शिखर धवन के सामने था।
वनडे क्रिकेट में गेंदबाजों की धुनाई बढ़ती ही जा रही है। गेंदबाज के लिए आखिर अब बल्लेबाजों को रोकना क्यों महंगा पड़ रहा है। हाल ही में हुए भारत-ऑस्ट्रेलिया की जिक्र करें तो यह बात सामने आई कि हार जीत से परे दोनों टीमों में एक बात समान थी कि हर मैच में बड़े स्कोर बन रहे थे। पांचों मैचों में दोनों तरफ़ से लगभग तीन-तीन सौ या इससे अधिक रन बने।
आखिरी पांचवें वनडे की बात करें तो ऑस्ट्रेलिया ने 7 विकेट पर 330 रन बनाए लेकिन भारत केवल चार विकेट पर 331 रन बनाकर जीतने में कामयाब रहा। पूरी सिरीज़ में दोनो टीमों के गेंदबाज़ एक-एक विकेट के लिए तरसते रहे। केवल एक बार भारतीय टीम ऑल आउट हुई।
इसके अलावा इन दिनों दक्षिण अफ्रीका का दौरा कर रही इंग्लैंड ने भी पहले एकदिवसीय मैच में ब्लोमफोंटेन में 9 विकेट खोकर 399 रन बनाए।
अगर हम पिछले सीजने पर थोड़ा गौर करें तो पिछले साल भारत का दौरा करने वाली दक्षिण अफ्रीकी टीम ने भारत के ख़िलाफ मुंबई में खेले गए पांचवें और आख़िरी एकदिवसीय मैच में 4 विकेट खोकर 438 रन ठोके। हालात यहां तक पहुंचे कि भारतीय टीम के तकनीकी निदेशक रवि शास्त्री पिच को लेकर क्यूरेटर सुधीर नायक से भिड़ गए। तब यह विवाद मीडिया में खूब छाया रहा।
अब सवाल यह है कि क्या इन दिनों दुनियाभर की टीमों के गेंदबाज़ों में विकेट लेने का दम नहीं रहा या फिर बल्लेबाज़ी का स्तर बढ़ गया है।
ऑस्ट्रेलियाई दौरे पर तो यह हाल हुआ कि भारत के अनुभवी तेज़ गेंदबाज़ इशांत शर्मा और उमेश यादव को समझ ही नही आया कि गेंद कहां करे। यही हाल ऑस्ट्रेलियाई गेंदबाज़ों का विराट कोहली, रोहित शर्मा और शिखर धवन के सामने था।
कहीं ये कारण तो जिम्मेदार नहीं
- अब इसे अर्धसत्य कहें या फिर कुछ और कि अब ऑस्ट्रेलिया तक में पहले जैसे तूफ़ानी और गेंदबाज़ों को मदद देने वाले विकेट नहीं रहे। वहां कृत्रिम विकेट इस्तेमाल किए जा रहे हैं।
- एकदिवसीय और टी-20 मैचों के बढ़ते चलन के बाद अब दुनियाभर में विकेट और बाउंड्री लाइन के बीच की दूरी कम हो गई है। यही वजह है कि इन दिनों बल्लेबाज़ जमकर चौक्के ही नहीं छक्के भी उड़ा रहे हैं।
- अकसर यह जुमला सुनने को मिलता है कि आजकल गेंदबाज़ रिवर्स स्विंग और स्पिन करना भूल गए हैं। हक़ीक़त तो यह है कि अब एकदिवसीय मैच में दोनों छोर से नई गेंद की जाती हैं।
- एक छोर से 25 ओवर ही हो जाएंगे तो कहां से गेंद रिवर्स स्विंग या स्पिन होगी।
- ऑस्ट्रेलिया में तो आलम यह था कि भारत में दक्षिण अफ्रीका के ख़िलाफ़ जमकर चमके आर अश्विन को तो कप्तान धोनी ने पहले दो एकदिवसीय मैच के बाद टीम में ही नही रखा।
- इन दिनों एकदिवसीय क्रिकेट में सारे नियम बल्लेबाज़ों के अनुकूल है।
- पहले अनिवार्य पावर प्ले में 10 ओवर तक केवल दो फ़ील्डर सर्कल से बाहर खड़े हो सकते हैं। अब भला दो फील्डर कहां तक गेंद रोकेंगे।
- दूसरे अनिवार्य पावर प्ले 10 से 40 ओवर के बीच केवल चार फील्डर और अंतिम पावर प्ले 40 से 50 ओवर के बीच अब एक अतिरिक्त यानि 5 फ़ील्डर सर्कल से बाहर खडे़ हो सकते हैं।
- नई तकनीक से बने बल्लों ने भी बल्लेबाज़ों की बल्ले-बल्ले कर दी है. गेंदबाज़ एक ओवर में केवल एक बाउंसर ही कर सकता है।
- इतना ही नहीं, रिवर्स स्वीप जैसे नए शॉट्स ने गेंदबाज़ों की सिरदर्दी बढ़ा दी है. हेल्मेट को दूसरे सुरक्षा उपकरणो ने भी बल्लेबाज़ों के दिल से तेज़ गेंदबाज़ों का डर निकाल दिया है।
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