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Friendship day spl : दोस्ती से बढ़कर रिश्ता नहीं है कोई... पर सही दोस्त का करें चुनाव

लेखक : दुर्गा प्रसाद

दाेस्तों, दोस्ती का रिश्ता सबसे अजीज होता है। एक ऐसा रिश्ता जिससे हम अपने दिल की हर बात शेयर करते हैं। हमारे सुख-दु:ख, अच्छा बुरा हर वक्त दोस्त कंधे से कंंधे मिलाकर खड़ा होता है। नि:स्वार्थ एवं समर्पण भाव से हमेशा साथ रहने वाले ऐसे दोस्त को फ्रेडशिप डे पर मेरा सलाम!

फ्रेंडशिप डे पर सदी के महानायक अमिताभ बच्चन जी ने भी “शोले” की एक फोटो ट्वीट की है और यह फोटो जय-बीरू के दोस्ती के बारे में सब बयां कर रही है। इस तस्वीर की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह शोले फिल्म का सॉन्ग “ये दोस्ती हम नहीं तोड़ेंगे, तोड़ेंगे दम मगर तेरा साथ नहीं छोड़ेंगे” से लिया गया है। इसमें धमेंद्र (बीरू) अमिताभ (जय) के कंधे पर बैठकर माउथ ऑर्गन बजा रहे हैं। जय मोटरसाइिकल चला रहे हैं। दोस्ती का ऐसा मंजर आज भी सभी दिलों में छाया हुआ है। जब भी किसी को दोस्ती मिसाल दी जाती है तो कहा जाता है वाह! क्या जय-बीरू की जोड़ी है।
बिग बी यह तस्वीर हाथ में लेकर उस वक्त के लम्हे में खो गए हैं। इस तस्वीर के नीचे उन्होंने कैप्शन लिखा है- “पल यादगार हो जाते हैं... हमेशा के लिए.. हैप्पी फ्रेंडशिप डे” वाह! यही तो दोस्ती होती है। न तो आपस में कोई जलन न कोई दुश्मनी। हमेशा एक-दूसरे का साथ देने का जज्बा। दोस्त की खुशी में खुश होने वाला.. दु:ख में दु:खी होने वाला ही सच्चा दोस्त होता है। आज के दौर में सच्चा दोस्त मिल पाना बहुत ही कठिन है। क्योंकि आज दोस्ती में स्वाथ छिपा होता है। आज दोस्ती स्वार्थ के लिए की जाती है। दोस्तो मित्रता  नि:स्वार्थ भाव से होनी चाहिए। वरना दोस्ती किस बात की।
दोस्ती एक अमर बंधन है। इसलिए हमेशा अपनी दोस्त की कद्र कीजिए। कभी भी दोस्त का दिल दुखाना नहीं चाहिए, क्योंकि उसके दिल में आपके प्रति नफरत नहीं होती है। उसका रिश्ता नि:स्वार्थ होता है। देखा जाए तो आज के समय में अमूमन कम ही भाई-भाई में आपसी प्रेम देखने को मिलता है। नहीं तो किसी न किसी बात पर खींझ होते रहती है। ऐसे में एक सच्चा दोस्त ही होता है जो आपको नि:स्वार्थ से आपके साथ जुड़ा होता है।
फिल्मों में दोस्ती को बड़े ही अंदाज में बयां किया जाता है। इनसे यही संदेश दिया जाता है कि दोस्ती क्या चीज होती है और हमें कैसे इसे निभाना चाहिए। दोस्तो कभी-कभी गलतफहमी की वजह से दोस्ती में दरार आ जाती है। इसलिए गलतफहमी से दूर रहें। अगर जरूरी हो तो उसके तह तक जाएं, जब तक सच्चाई का पता न चले तब तक कोई फैसला न ले। ध्यान रहे एक गलत शब्द दोस्ती में दरार डाल सकता है। यह दरार समय के साथ इतनी गहरी हो सकती है जो कभी भरी न जा सकती है।

रहीम दास जी की एक पंक्ति में आपके सामने सामना बयां करता हूं-
रहिमन धागा प्रेम का, मत तोरो चटकाय। टूटे पे फिर ना जुरे, जुरे गाँठ परी जाय।।

अर्थात् रहीम दास जी कहते हैं कि प्रेम का नाता नाज़ुक होता है। इसे झटका देकर तोड़ना उचित नहीं होता. यदि यह प्रेम का धागा एक बार टूट जाता है तो फिर इसे मिलाना कठिन होता है और यदि मिल भी जाए तो टूटे हुए धागों के बीच में गाँठ पड़ जाती है।
इसलिए हमें अपनी दोस्ती में कभी भी ऐसी नौबत न आने दें की गाँठ पड़ जाए। हां एक बात जरूर है स्वार्थी लोगों से जरूर दूर रहें, क्योंकि स्वार्थी लोग सिर्फ अपने हितों को देखकर दोस्ती करते हैं। ऐसे लोगों से दूर रहना ही अच्छा है, क्योंकि ये पीठ पर छूरा भौंक सकते हैं। हमेशा अच्छे दोस्त से ही जुड़े रहें।
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