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सबके दुख: दूर कर परमात्मा...


कोई ना झुलसे इस नफरत की आग में,
ठण्ड बरसा दो प्रभु सबके दिलों में,
ना हो वैर ना ईष्षा हो सच्ची हो हर एक आत्मा..
सबके दुख: दूर कर परमात्मा.....

कैसा ये आंतक फैला सारे जहान में,
भाई से भाई झगडे अपने ही मकान में,
ना हो अब ये खून खराबा,जुल्मों का हो अब खात्मा..
सबके दुख:दूर कर परमात्मा.....

बिछुडे ना बच्चे से अब मां किसी की,
जालिम ना ले अब जां किसी की,
जुल्म मिटा दो स्वर्ग बना दो, है ये प्रार्थना.
सबके दुख: दूर कर परमात्मा.....

हो जग में शांति... रहे से मिलजुलकर
भाईचारे में बंधे यह विश्व.. ना रहे नफरत
हिंसा से न होगा भला कभी..
नफरत का करो त्याग, होगा जग का कल्याण 



- दुर्गा प्रसाद
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