लेखक : दुर्गा प्रसाद
उत्तराखंड में सियासी भूचाल आ गया है। मुख्यमंत्री हरीश रावत से 9 कांग्रेसी विधायक नाराज हो गए हैं। ये सभी बहुगुणा खेमे से बताए जा रहे हैं। इन विधायकों ने भाजपा में शामिल होने की धमकी दी है। ऐसे में अगर ये विधायक भाजपा में शामिल होते हैं तो कांग्रेस सरकार का जाना तय है। ऐसे में भाजपा गवर्नर से मिलकर सरकार बनाने का दावा पेश कर सकती है। ऐसे में अजय भट्ट को मुख्यमंत्री बनाया जा सकता है। ऐसा माना जा रहा है कि ये विधायक मुख्यमंत्री की कार्यशैली से नाखुश हैं। इस बीच यह भी खबर है कि सदन में अविश्वास प्रस्ताव भी लाया जा सकता है। रूष्ट नेताओं में हरक सिंह रावत, अमृता रावत, प्रतीप बत्रा जैसे सीनियर नेता शामिल हैं।
उधर, मुख्यमंत्री हरीश रावत ने दावा किया है कि उनकी सरकार को कोई खतरा नहीं है। 70 सीटों वाली उत्तराखंड असेंबली में कांग्रेस के 36, बीजेपी के 28, निर्दलीय 3, बीएसपी के 2 और यूकेडी का 1 विधायक है। ऐसे में अगर 12 विधायक भाजपा में शामिल होते हैं तो कांग्रेस की सरकार का जाना तय है। इधर, उत्तराखंड कांग्रेस के सह प्रभारी संजय कपूर कांग्रेस के सभी बागी विधायकों को मनाने में जुटे हैं। उनका कहना है कि इस तरह की कोई बात नहीं है। इसका हल जल्द निकाल लिया जाएगा। सरकार को किसी प्रकार का खतरा नहीं है।
कुछ भी कहें अभी उत्तराखंड में सियासी भूचाल ने करवट बदल ली है। एक बात तो साफ हो गई है कि इस शांतप्रिय राज्य में सियासी भूकंप का साया साफ मंडरा रहा है। ऐसे में अगर इस पर माननीय मुख्यमंत्री जी लगाम लगाने में नाकाम रहे तो कुछ भी हो सकता है। उत्तराखंड 2000 में उत्तरप्रदेश से अलग होकर एक पृथक राज्य बना। तब से यहां पर राजनीतिक ड्रामा चरम पर है। कभी किसी सीएम पर घपले का आरोप लगा तो कभी किसी सीएम की छवि से प्रदेश को नुकसान हुआ है।
वर्तमान मुख्यमंत्री हरीश रावत एक स्वच्छ छवि से प्रदेश का नेतृत्व कर रहे हैं मगर बहुगुणा गुट की सियासी चाल से अब वह भी परेशानी में पड़ गए हैं। अब ऊंट किस तरफ करवट बदलेगा यह तो आने वाला समय ही बताएगा, फिलहाल इस संकट से मुख्यमंत्री कैसे पार पाते हैं यह उनके लिए परीक्षा की घड़ी है।
उत्तराखंड में सियासी भूचाल आ गया है। मुख्यमंत्री हरीश रावत से 9 कांग्रेसी विधायक नाराज हो गए हैं। ये सभी बहुगुणा खेमे से बताए जा रहे हैं। इन विधायकों ने भाजपा में शामिल होने की धमकी दी है। ऐसे में अगर ये विधायक भाजपा में शामिल होते हैं तो कांग्रेस सरकार का जाना तय है। ऐसे में भाजपा गवर्नर से मिलकर सरकार बनाने का दावा पेश कर सकती है। ऐसे में अजय भट्ट को मुख्यमंत्री बनाया जा सकता है। ऐसा माना जा रहा है कि ये विधायक मुख्यमंत्री की कार्यशैली से नाखुश हैं। इस बीच यह भी खबर है कि सदन में अविश्वास प्रस्ताव भी लाया जा सकता है। रूष्ट नेताओं में हरक सिंह रावत, अमृता रावत, प्रतीप बत्रा जैसे सीनियर नेता शामिल हैं।
उधर, मुख्यमंत्री हरीश रावत ने दावा किया है कि उनकी सरकार को कोई खतरा नहीं है। 70 सीटों वाली उत्तराखंड असेंबली में कांग्रेस के 36, बीजेपी के 28, निर्दलीय 3, बीएसपी के 2 और यूकेडी का 1 विधायक है। ऐसे में अगर 12 विधायक भाजपा में शामिल होते हैं तो कांग्रेस की सरकार का जाना तय है। इधर, उत्तराखंड कांग्रेस के सह प्रभारी संजय कपूर कांग्रेस के सभी बागी विधायकों को मनाने में जुटे हैं। उनका कहना है कि इस तरह की कोई बात नहीं है। इसका हल जल्द निकाल लिया जाएगा। सरकार को किसी प्रकार का खतरा नहीं है।
कुछ भी कहें अभी उत्तराखंड में सियासी भूचाल ने करवट बदल ली है। एक बात तो साफ हो गई है कि इस शांतप्रिय राज्य में सियासी भूकंप का साया साफ मंडरा रहा है। ऐसे में अगर इस पर माननीय मुख्यमंत्री जी लगाम लगाने में नाकाम रहे तो कुछ भी हो सकता है। उत्तराखंड 2000 में उत्तरप्रदेश से अलग होकर एक पृथक राज्य बना। तब से यहां पर राजनीतिक ड्रामा चरम पर है। कभी किसी सीएम पर घपले का आरोप लगा तो कभी किसी सीएम की छवि से प्रदेश को नुकसान हुआ है।
वर्तमान मुख्यमंत्री हरीश रावत एक स्वच्छ छवि से प्रदेश का नेतृत्व कर रहे हैं मगर बहुगुणा गुट की सियासी चाल से अब वह भी परेशानी में पड़ गए हैं। अब ऊंट किस तरफ करवट बदलेगा यह तो आने वाला समय ही बताएगा, फिलहाल इस संकट से मुख्यमंत्री कैसे पार पाते हैं यह उनके लिए परीक्षा की घड़ी है।
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